Russia-Ukraine युद्ध के बाद अब फिर से NATO मे Sweden के शामिल होने की बात से Europe देशों में तनाव का माहौल चालू हो गया है,इसकी जानकारी आर्मी हेड श्रीमान जर्नल माइकल बिडेन ने अपने संपूर्ण देशवासियों को संबोधित करते हुए Russia के खिलाफ युद्ध और सैन्य कार्यवाही को भविष्य में आगे बढ़ाने का निर्देश देते दिख रहे है। और इस बात की पुष्टि इस बात से लगती है;क्योंकि एक सैन्य प्रमुख के साथ उस देश के मुखिया के द्वारा भी यही बात कही जा रही है यह निर्देश देता है कि इस वर्ष भी यूरोपीय देशों में युद्ध का माहौल बना रहेगा।
आज इस लेख के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय देश में होने वाली गतिविधियों और भविष्य में होने वाले भारी बदलावों को जानेंगे और साथ ही इस लेख के माध्यम से भविष्यगत युद्ध के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे जिस कारण आज Russia और Sweden युद्ध के कगार पर पहुंच चुके हैं।
Impact of NATO
यह संगठन विश्व के सबसे ताकतवर देश अमेरिका द्वारा बनाया गया है और इससे जुड़ने के लिए विभिन्न देश किसी ने किसी रूप में प्रयास कर रहे हैं यह कारण सुरक्षा भी हो सकती है और युद्ध से दूर रहने का मार्ग भी हो सकता है।
नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन अमेरिका द्वारा विश्व भर के कई देशों को मिलाकर बनते हैं इसमें यदि कोई देश इससे जुड़े हुए देश पर हमला करता है तो संपूर्ण नाटो कंट्री उसे पर युद्ध का अवलंबन कर देती हैं।
अभी कुछ समय पहले Sweden के पड़ोसी देश फिनलैंड ने NATO की सदस्यता ग्रहण कर लिए जिसको लेकर Russia में काफी तनातनी का माहौल है क्योंकि एक मजबूत देश अपने पड़ोस में किसी दुश्मन को आसानी से नहीं रख सकता इसी को देखते हुए Finland स्वीडन पर सदस्यता के लिए दबाव बना रहा है।
TURKIYE Against Sweden
तुर्की का स्वीडन के खिलाफ कठिन रवैया इसलिए है,क्योंकि उसका मानना है कि उसके देश के आतंकवादी समूह Sweden के द्वारा पोषित किए जाते हैं इसके चलते NATO मेंबरशिप में तुर्की ने Sweden के खिलाफ अपना प्रस्ताव रखा जिसके कारण उसे इसकी सदस्यता नहीं मिल पाई है साथ ही साथ तुरकिया का कहना है कि वह इस शर्त पर अपनी अनुमति देगा जब वह उन संगठनों को अपने देश से निकाल देंगे और एक ईमानदार देश की तरह हमारे साथ विभिन्न पक्षों पर संतोषजनक मत रखेंगे।
Why Russia Unhappy
Russia इसलिए SWEDEN और FINLAND पर दबाव बनाता रहा है,इसका कारण अमेरिका द्वारा हस्तक्षेप है। वे किसी भी रूप में अपने दुश्मन को अपना पड़ोसी नहीं बना सकता लेकिन FINLAND के नाटो ज्वाइन करने के उपरांत SWEDEN का उसकी तरफ झुकना एक गहरे युद्ध की तरफ EUROPE देशों को ले जा रहे हैं,इसका परिणाम यदि देखा जाए तो किसी भी रूप में युद्ध विराम की तरफ नजर नहीं आता है।
Europe देश ही नहीं Asia के विभिन्न देश भी कई वर्षों से युद्ध की तरफ चल रहे हैं हाल ही में ईरान और पाकिस्तान का मामला सामने आया है जिसमें युद्ध विराम का कोई निष्कर्ष नहीं दिखता साथ ही साथ यूरोपीय देशों में Russia और Ukraine वार इसके उपरांत इजरायल में युद्ध का होना यह बताता है कि इस वर्ष भी कई देश इन युद्धों के जाल में रहेंगे यह विश्व स्तरीय मानवीय संस्कृति को संपूर्ण रूप से विकृत कर देगा।
America With SWEDEN
अमेरिका एक चालक मित्र की तरह SWEDEN का अभी साथ देगा इसका कारण अपने सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी RUSSIA पर अपनी पकड़ को मजबूत करना है,विभिन्न स्तरों पर अमेरिका की सेना सीधे तौर पर RUSSIA से नहीं लड़ सकती और यही एक जमीनी रास्ता उसे सीधे लड़ाई का मौका देगा जिससे वह अपने सभी सामग्रियों को व सैनिकों को आसानी से जमीनी रास्ते से पहुंचा सकते है इसी रास्ता के प्रयोग करके पुराने समय में नेपोलियन ने भी Russia पर हमला किया था और इसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर ने भी इसी रास्ते का प्रयोग कर हमले को अंजाम दिया था।
भौगोलिक स्थिति की बात करें तो Russia को हराना इतना आसान नहीं क्योंकि वे एक तरफ से विभिन्न प्रकार के पहाड़ों समुद्री ग्लेशियरों से जुड़ा हुआ है। जिसके कारण उस पर हमला करना थोड़ा सा दुर्लभ हो जाता है, लेकिन Sweden के NATO में जुड़ते ही हमला करना आसान हो जाएगा क्योंकि जमीनी स्तर पर FINLAND और SWEDEN दोनों अमेरिका के सदस्य बन जाएंगे जिसके कारण आसानी से उसे पर हमला किया जा सकता है।
Why Peace want War
स्वीडन जैसे देश कई दशकों से युद्धों से काफी दूर रहे हैं इसका कारण शांतिप्रियता भी हो सकती है लेकिन इन्होंने कभी भी अपनी सेवा का परित्याग नहीं किया उनकी सेवा शांति मिशन जैसे प्रशिक्षण प्रोग्राम में विभिन्न देशों के साथ खुद को प्रशिक्षित करती रही है जिसके चलते यह युद्ध के लिए पहले से ही तैयार थे।
NATO में जुड़ने का सबसे प्रमुख कारण RUSSSIA के मुख्य लोगों द्वारा इन देशों पर दबाव बनाया जाना है संयुक्त रूप से कहें तो किसी भी रूप में रसिया इन देशों को अमेरिका के साथ मिलने नहीं देना चाहता इसका एक पहलू यह है कि वह अपने दुश्मनों के आमने-सामने तौर पर रखने को तैयार नहीं इसके लिए उसे युद्ध में ही क्यों न जाना पड़े इसकी तैयारी पहले से ही RUSSIA कर चुका है।
BALTIC SEA AND RUSSIA
Norway Sweden और Finland यह सभी देश Russia के दबाव से बचने के लिए NATO देशों की तरफ हाथ मिलाने को तैयार है। लेकिन रसिया इन पर दबाव क्यों बना रहा इसका कारण जमीन और क्षेत्र विस्तार को एक तरफ रख दे तो बाल्टिक समुद्र में अपने आधिपत्य को बनाए रखना व स्वतंत्र रूप से व्यापार करने और अपने युद्धपोतों को आराम से किसी भी दिशा में जाने के लिए तैयार रखने के कारण ही इन सब देशों पर दबाव बनाता है वह पूर्ण रूप से आधिपत्य की भावना को लेकर चलना चाहता है।
Last Word
यदि SWEDEN NATO देशों के साथ जुड़ जाता है,तो ये RUSSIA के लिए एक अत्यंत ही गंभीर बात होगी क्योंकि उसकी स्वतंत्रता बाध्य होगी और समुद्री आक्षेप भी बढ़ जाएंगे यदि आज युद्ध ना हुआ तो भविष्य में युद्ध का होना तय है। क्योंकि अमेरिका के भाव और रूस के ताव हमेशा देशों को युद्ध के पड़ाव पर ले गए हैं इसलिए गंभीर रूप से यह एक वैश्विक मुद्दा है,जिस पर संपूर्ण वैश्विक राजनीति टिकी हुई है।
READ MORE :-