India and Globe is Near to Food Crisis

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भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व आने वाले भविष्य में भारी खाद्य पदार्थ की कमी और भुखमरी का सामना करेगा इसका कारण लोगों का खेती के प्रति रवैया और प्रकृति का मनुष्यता के प्रति क्रूर निगाह रखता है इसके जिम्मेदार कोई और नहीं हम मानव है। 

Crisis with High Prices

आज इस लेख के माध्यम से वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की कमी के प्रमुख कारण और उनसे होने वाले भविष्यगत परिणाम की बात करेंगे जिनके चलते मानवी सभ्यता विकार सभ्यता की तरफ बढ़ने लगेगी इससे संबंधित अन्य जानकारी इस लेख में दी जाएंगी। 

India and Food

भारत संपूर्ण विश्व में सबसे अधिक खाद्य पदार्थों का निर्यात करने वाले देश में से एक है,परंतु कुछ वर्षों से इसने खाद्य सामग्रियों को निर्यात करने पर रोक लगा दी है इसका कारण क्या? जिसकी जानकारी सरकारी आंकड़े और बंजर खेत बता रहे हैं। 

आंकड़ों की बात की जाए तो 2022 में खाद्य और भुखमरी का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।एक डाटा के अनुसार बताया गया है,कि संपूर्ण वैश्विक जगत में 9.2%जो कि वैश्विक जनसंख्या भुखमरी का सामना कर रही है । वहीं विश्व के 16.6% लोग पोषण युक्त भोजन नहीं कर पा रहे हैं वहीं भारत की आधी आबादी  पोषण युक्त खाना नहीं खा पाती है। 

भारत गेहूं उत्पादन में सबसे उत्तम देश माना जाता है वहीं चावल और अन्य मुख्य खाद्य पदार्थ भारत में अधिक उत्पादन किया जाता है परंतु दिन प्रतिदिन खेत खलियान खत्म होते जा रहे हैं इसका कारण लोगों का शहरीकरण होना है। 

Pesticides Uses in India 

यह तो सभी को पता है की हर व्यक्ति अधिक मुनाफा कमाना चाहता है जिसके लिए वह कोई भी कीमत देने को तैयार है यही एक कारण है जो किसानों की फसल को तो बड़ा रहा है परंतु बीमारियों को तोहफे के तौर पर दे रहा है कीटनाशकों का प्रयोग इतना अधिक मात्रा में किया जाने लगा है कि हम लोग कई भारी बीमारियों से ग्रसित है इसलिए जैविक खेती की तरफ हम सभी को बढ़ाना चाहिए पर मुनाफा हर व्यक्ति को यह करने से रोक देता है। 

Climate Change impact on Eco

जलवायु किसी भी खाद्य पदार्थ को तैयार करने का सबसे बड़ा साधन है, परंतु कुछ वर्षों से जलवायु ने किसानों से ऐसा मुंह मोड़ा है। कि उनके उत्पादन क्षमता कम होती जा रही है क्योंकि प्रत्येक समय की एक उपज होती है जो की जलवायु परिवर्तन के कारण पैदावार की क्षमता को कम और खराब करते जा रहे हैं यह भी एक सबसे प्रमुख कारण है वैश्विक जगत में भुखमरी लाने का। 

Flood

Population Growth 

जनसंख्या वृद्धि आजकल मृत्यु दर से अधिक है। इसलिए अधिक लोग अधिक भोजन और बांटने के लिए अधिक खेतों की आवश्यकता होगी परंतु वृद्धि के अनुसार खाद्य पदार्थों की में वृद्धि नहीं हो पा रही है। यही एक कारण है, कि रहने की जमीन की कमी और साथ ही साथ खाद्य पदार्थों के उत्पादन के लिए कमी भी तैयार होती जा रही है यह जनसंख्या वृद्धि का एक मूल सबसे बड़ा कारण मानी जा सकती है। 

Agricultural Productivity 

यह भी बहुत बड़ी समस्या और सूझबूझ की कमी का मुख्य कारण है । हम लोग हमेशा प्रकृति मानसून और प्रकृति सहायता के प्रति ज्यादा निर्भर रहते हैं इसका कारण किसानों का नवीन उपकरणों से उतना संबंध नहीं होना है। और साथ ही साथ हमारे कृषि करने का तरीका भी अभी भी वही पुराना है जिसको सुधारने के लिए सरकारों द्वारा कोई भी कार्य नहीं किया जा रहा है साथ ही साथ हमारे उपकरण भी उतने आधुनिक नहीं है जिनका प्रयोग करके हम इन समस्याओं से निजात पा सके। 

Economic Separation

हम लोग एक बड़ी इकोनॉमी बनने के लिए इतना उतारू हो चुके हैं कि हम अपने देश की गरीबी और भुखमरी को नहीं देख पा रहे हैं भुखमरी इस कदर बढ़ चुकी है और जब इतनी कमजोर हो चुकी है कि हर व्यक्ति भोजन को सही दशा से अपने घर तक नहीं पहुंच पा रहा है। 

भोजन उपलब्ध होते हुए भी लोग उस भोजन को खरीदने में सक्षम नहीं है। यह दर्शाता है कि लोगों का लोगों के प्रति कितना दुराव है, और धन का सही तरीके से वितरण नहीं हो पाया है इसीलिए ऐसी चीजें आज भी हमारे समाज में व्यवस्था हैं। 

Globe Crisis

इस लेख के माध्यम से हम यह बताना चाहते हैं कि जब भारत जैसा कृषि प्रधान देश और सभी जलवायु के अनुकूल इस देश में भुखमरी की ऐसी स्थिति है तब वैश्विक स्तर पर भुखमरी का हाल कितना खराब होगा यही एक कारण मानव को मानव से दूर करने के लिए काफी है। 

Africa जैसे देश विभिन्न मजबूत और मजबूती के तरफ बढ़ रहे देश को एक प्रेम भरी निगाहों से देखते है और इसका कारण उपज का सही से ना होना और जनता के बीच भुखमरी न फैल जाए इसी कारण वह विभिन्न विकासशील और विकसित देशों के ऋण जाल में फंस जाते हैं। 

विभिन्न विकसित और विकासशील देश भी अपने देश की ज़रूरतें और खाद्य सामग्रियों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं इसलिए एशिया के विभिन्न देशों के साथ खाद्य आपूर्ति संबंध बनाते हैं परंतु यह दिन प्रतिदिन खराब इसलिए होता जा रहा है क्योंकि विभिन्न प्रगतिशील देश विकसित देश बनने के फिराक में अपने देश के खेतों को शहरो के गलियारों में बदलते जा रहे हैं। 

Last word

भारत हो या कोई भी अन्य देश सभी इस भूख से हार ही जाते हैं। क्योंकि जिसकी जनता भूखी होगी वह आज नहीं तो कल गुलाम हो ही जाएगा चाहे वह कितना भी विकसित क्यों ना हो ले। जलवायु परिवर्तन हो या खेतों की कमी मानव की जनसंख्या हो या बढ़ती कीटनाशकों का उपयोग इन सभी का जिम्मेदार और कोई नहीं हम मानव हैं, इसलिए हमको आने वाले समय के अकाल के लिए तैयार रहना चाहिए। 

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